PM Modi gave good news from UAE, after the temple, Indians got land for this thing
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का लोकार्पण किया. मंदिर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भारतवासियों को लेकर एक खुशखबरी भी दी.
उन्होंने कहा कि मेरे मित्र राष्ट्रपति जायद का विजन है ‘वी आर ऑल ब्रदर्स’. उन्होंने अबू धाबी में हाउस ऑफ अब्राहम फैमिली बनाई है. अबू धाबी में भगवान स्वामीनारायण का मंदिर विविधता में एकता के उस विचार को विस्तार दे रहा है. आज इस भव्य जगह से मैं एक और खुशखबरी देना चाहता हूं. आज सुबह यूएई के उपराष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन राशिद ने दुबई में भारतीय श्रमिकों के लिए एक अस्पताल बनाने के लिए जमीन देने के घोषणा की है. मैं उनका और मेरे ब्रदर राष्ट्रपति नाहयान का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं.
दरअसल, अबू धाबी में जो हिंदू मंदिर बना है, उसके लिए शेख मोहम्मद बिन जायद ने ही जमीन तोहफे में दी थी. यूएई सरकार ने मंदिर के लिए पहले 13.5 एकड़ जमीन दी थी. बाद में 2019 में फिर से 13.5 एकड़ जमीन दी थी. 27 एकड़ में फैले परिसर में भगवान स्वामीनारायण का मंदिर 13.5 एकड़ में बना है. जबकि बाकी के 13.5 एकड़ में पार्किंग बनी है.
मंदिर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि यूएई सरकार ने कितने बड़े दिल से करोड़ों भारतवासियों की इच्छा को पूरा किया है. और इन्होंने सिर्फ यहां नहीं 140 करोड़ हिंदुस्तानियों के दिल को जीत लिया है.
पीएम मोदी ने कहा, मैं इस मंदिर के विचार से लेकर इसके साकार होने तक पूरी यात्रा में इससे जुड़ा रहा हूं, ये मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य है. और इसलिए मैं जानता हूं कि शेख बिन जायद की उदारता के लिए धन्यवाद शब्द भी बहुत छोटा लगता है, इतना बड़ा उन्होंने काम किया. मैं चाहता हूं कि उनके इस व्यक्तित्व को भारत-यूएई रिश्तों की गहराई को केवल यूएई और भारत के लोग ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व भी जाने.
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने बताया, जब मैं 2015 में यूएई आया था, तब मैंने शेख मोहम्मद से इस मंदिर के विचार पर चर्चा की थी. मैंने भारत के लोगों की इच्छा उनके सामने रखी तो उन्होंने पलक झपकते ही उसी पल मेरे प्रस्ताव के लिए हां कर दिया. उन्होंने मंदिर के लिए बहुत कम समय में इतनी बड़ी जमीन उपलब्ध करवाई.
उन्होंने ये भी बताया कि जब वो 2018 यूएई की यात्रा पर आए थे, तब संतों ने मंदिर के दो मॉडल बताए थे. उन्होंने बताया कि एक मॉडल भारत की प्राचीन शैली पर आधारित था. और दूसरा सामान्य सा मॉडल था, जिसमें हिंदू धार्मिक चिह्न नहीं था. संतों ने कहा कि सरकार जिस पर हां करेगी, उसी पर काम होगा. जब मॉडल शेख साहब के सामने गया तब उन्होंने साफ कहा कि मंदिर बने तो पूरे गौरव के साथ बने. वो चाहते थे कि यहां सिर्फ मंदिर बने ही नहीं, बल्कि वो मंदिर जैसा दिखे भी. ये छोटी बात नहीं है, ये बहुत बड़ी बात है. यहां सिर्फ मंदिर बने ही नहीं, लेकिन वो मंदिर जैसा दिखे भी. भारत से बंधुत्व की ये भावना वाकई हमारी बहुत बड़ी पूंजी है. हम इस मंदिर की भव्यता दिख रही है, उसमें शेख मोहम्मद की विशाल सोच की भी झलक है.