पुणे में अभिनेत्री गिरफ्तार, सतारा तक आंच,सेक्स रैकेट के दलालों ने ATC के डर ने मुंबई से शिफ्ट किया धंधा

Actress arrested in Pune, heat till Satara, brokers of sex racket shifted their business from Mumbai due to fear of ATC

मुंबई : कुछ दिनों मुंबई की एक अभिनेत्री पुणे के एक होटल से रेस्क्यू करवाई गई। उसके साथ उजबेकिस्तान की भी दो लड़कियां भी उस तीन सितारा होटल में थीं। सातारा में भी तीन दिन पहले वहां की पुलिस ने एक सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया था। सातारा में दिल्ली की लड़कियां रेस्क्यू करवाई गईं थीं। इन दोनों ही केसों में सेक्स रैकेट चलाने वाले पकड़े गए। मुंबई की अभिनेत्री के बारे में पता चला कि वह पुणे के होटल में कई दिन से रुकी थी। वह जिस दलाल के जरिए देह के व्यापार में शामिल थी, वह दलाल उसके लिए रोज नए ग्राहक लाता था। दलाल अपना कमिशन काटकर बाकी रकम अभिनेत्री को दे देता था। पहले मुंबई में सोशल सर्विस ब्रांच और मुंबई क्राइम ब्र्रांच की अलग-अलग यूनिट्स भी अलग-अलग होटलों में रेड डालती थीं और सेक्स रैकेट चलाने वालों को पकड़ती थीं।

दलालों के डर की दो वजह ( Two reasons for fear of brokers)

मुंबई में ऐसे केस पूरी तरह बंद तो नहीं हुए हैं, पर बहुत हद तक कम जरूर हुए हैं। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने इसकी दो वजह बताईं। पहला कारण- ऑल आउट ऑपरेशन और दूसरी वजह- ऐंटि टेरर सेल यानी एटीसी।

ऑल आउट ऑपरेशन मुंबई पुलिस हर दो-तीन महीने में करती रहती हैं। इसमें सभी डीसीपी, एसीपी, सीनियर इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर व अन्य पुलिस स्टॉफ को रखा जाता है। इस ऑपरेशन में पूरे शहर की जगह-जगह नाकाबंदी की जाती है। रिकॉर्ड वाले जमानत पर बाहर आए अपराधियों, तड़ीपार अपराधियों, ड्रग्स कारोबारी, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों, अवैध हथियार रखने वालों-सभी से पूछताछ की जाती है, काफी लोगों पर कार्रवाई होती है। लेकिन इस ऑल आउट ऑपरेशन में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई और भी होती है और वह होती है-विभिन्न होटलों व लॉजेज की चेकिंग। इस बहाने यदि किसी होटल या लॉज में सेक्स रैकेट चल रहा है, तो उसका भंडाफोड़ हो जाता है। उसमें फिर होटल, लॉजेज वालों पर भी कार्रवाई होती है।

एटीसी अब नियमित होटल, लॉज में जाती है ( ATC now goes to regular hotels, lodges)

मुंबई पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, मुंबई में सेक्स रैकेट को कंट्रोल करने में एटीसी का बहुत असर पड़ा है। इस अधिकारी का कहना है कि पहले एंटि टेरर सेल यानी एटीसी सिर्फ पांच सितारा या इसी तरह के बड़े बड़े होटलों में जाती थी। होटल के रिसेप्शनिस्ट से उन विदेशियों के पासपोर्ट की डिटेल मांगती थी, जो होटल में रुके हैं और फिर इन विदेशियों की र्बैकग्राउंड और उनके मुंबई में टिके रहने तक उन पर नजर रखती थी। लेकिन अब एटीसी के लोग नियमित रूप से छोटे-छोटे होटलों व लॉजेस में भी जाते हैं। जिसके नाम कमरा बुक हुआ है, उनका आधार कार्ड/ पैन कार्ड की डिटेल मांगते हैं और यदि बिना इनके कोई कमरे में रुका है, तो समझ जाते हैं कि कमरे में सेक्स रैकेट चल रहा है। इसके बाद एटीसी के लोग होटल वालों पर ऐक्शन लेते हैं। कई बार उनका लाइसेंस भी रद्द कर देते हैं।

जहां पैसा, वहां ही ऐक्शन ( Where there is money, there is action)

एक पुलिस अधिकारी ने माना कि यदि दो बालिग आधार कार्ड/ पैन कार्ड देकर कोई कमरा बुक कर रहे हैं और अपनी मर्जी से कुछ निजी पल बिताने वहां आए हैं, तो हम इन पर ऐक्शन नहीं लेते, क्योंकि हमें पता है कि मुंबई में 30 से 40 प्रतिशत लोग स्लम में रहते हैं और उन्हें अपने पार्टनर के साथ कुछ निजी पलों के लिए घर में प्राइवेसी नहीं मिलती। ऐसा ही फ्लैट वालों का भी है। मुंबई में ज्यादातर लोगों के वन या टू बेडरूम/ हॉल फ्लैट हैं, जहां बालिग हो चुके बच्चों को अपनी या अपने ‘फ्रेंड्स’ को बुलाने में झिझक होती है, तो वह किसी होटल या लॉज में पहुंच जाते हैं। इस अधिकारी के अनुसार, हम ऐक्शन तभी लेते हैं, जब हमें पता चलता है कि रुपये लेकर कोई यहां या वहां सेक्स रैकेट चला रहा है। चूंकि ऐसे सेक्स रैकेट चलाने वालों की नियमित चेकिंग एटीसी कर रही है, इसलिए सेक्स के कारोबार से जुड़े काफी लोगों ने अपना यह धंधा मुंबई के बाहर शिफ्ट कर दिया है।

पांच ग्राम की पुड़िया भी पकड़ती है एटीसी ( ATC catches even five gram packets)

मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने एटीएस का एक और भी काम बताया और वह है मुंबई में ड्रग्स को कंट्रोल करना। हालांकि, एनसीबी और ऐंटि नार्कोटिक्स सेल (एएनसी) जैसी एजेंसियां ड्रग्स माफियाओं और ड्रग्स सप्लायर्स व डिस्ट्रिब्यूटर्स को पकड़ने के लिए बनी हैं। पर जो पांच से दस ग्राम ड्रग्स बेचते हैं या उनका सेवन करते हैं, उन्हें पकड़ने का जिम्मा ऐंटि टेरर सेल यानी एटीसी को दिया गया है। इस अधिकारी का कहना है कि किसी जमाने में हर पुलिस स्टेशन में ऐंटि गुंडा स्क्वॉड हुआ करता था। तब मुंबई में अंडरवर्ल्ड की भी दहशत थी। ऐंटि गुंडा स्क्वॉड की जगह बाद में ऐंटि टेरर सेल खोला गया। इस सेल में एक उप निरीक्षक व चार सिपाही होते हैं। इसके टेरर ने निश्चित तौर पर सेक्स दलालों और नशा कारोबारियों की नींद उड़ा दी है।