पाकिस्तान: नवाज़ और बिलावल की पार्टी में बनी सहमति, शहबाज़ बने प्रधानमंत्री और ज़रदारी बने राष्ट्रपति

Consensus reached in the party of Nawaz and Bilawal, Shahbaz became the Prime Minister and Zardari became the President.

पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) को समर्थन देने की घोषणा की है.

इन दोनों ही पार्टियों को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों से कम सीटें मिली थीं.

पीटीआई ने इस नए गठबंधन को ‘जनमत के लुटेरे’ क़रार दिया है. पार्टी का कहना है कि उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए चुनावों में धांधली हुई और जनमत को छीन लिया गया.

पीपीपी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा, “गठबंधन का मक़सद देश के आर्थिक संकट का समाधान करना है.”

वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि आर्थिक और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रयास किए जाएंगे.

किस फ़ॉर्मूले पर बनी सहमति ( Which formula was agreed upon)

पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच हुए समझौते के तहत शहबाज़ शरीफ़ प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. वह दूसरी बार पीएम बनेंगे.

वहीं, पीपीपी के आसिफ़ अली ज़रदारी इस नए गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. वह पहले भी देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं.

प्रधानमंत्री के चयन के लिए संसद में चुनाव होगा. यह प्रक्रिया फ़रवरी के अंत में होनी है. इसके बाद के हफ़्तों में देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव होगा.

हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार में मुख्य पद किस पार्टी को मिलेंगे, किस पार्टी से कितने मंत्री होंगे.

ये दोनों पार्टियां साल 2022 में भी एकसाथ आ गई थीं, जिसके बाद इमरान ख़ान को नाटकीय ढंग से प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.

जनवरी 2024 में इमरान को सरकारी गोपनीय जानकारियां लीक करने के आरोप में 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी. इमरान इन आरोपों को निराधार बताते हैं.

बहुमत से दूर हैं दोनों दल ( Both parties are far from majority)

 पाकिस्तान में इस महीने की शुरुआत में हुए विवादास्पद चुनाव के नतीजों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था.

पूर्व पीएम इमरान ख़ान जेल में बंद हैं और उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न को रद्द कर दिया गया था. फिर भी, उनकी पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवार उतारे थे.

नतीजे आए तो पीटीआई समर्थित निर्दलीय बड़ी संख्या में जीतकर आए, मगर कुल आंकड़ा बहुमत से दूर रहा.

बहुमत के लिए 169 सीटों की ज़रूरत होती है, मगर पीटीआई समर्थित निर्दलीयों की संख्या 93 ही है.

इससे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच बातचीत का रास्ता खुल गया.

पीएमएल-एन को 75 सीटें मिली हैं और पीपीपी को 54. दोनों का योग भी बहुमत से कम है, मगर उन्हें छोटी पार्टियों का साथ मिल सकता है.

साथ ही, महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों पर होने वाली नियुक्तियों से भी इस गठबंधन को सरकार चलाने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटने की उम्मीद है.