Dehradun : कल से केवल जीपीएस वाली गाड़ियां ही घंटाघर तक जा सकेंगी, गलती करने पर परमिट होगा निरस्त

From tomorrow only vehicles with GPS will be able to reach Ghantaghar, if any mistake the permit will be canceled

देहरादून में परिवहन देहरादून की परिवहन व्यवस्था में इस समय बदलाव हो रहा है। क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) सचिव और आरटीओ सुनील शर्मा ने कहा कि शुक्रवार से क्षेत्र में केवल जीपीएस से लैस यात्री वाहन ही चलेंगे। आरटीए ने 15 फरवरी तक ड्राइवरों को जीपीएस लगाने से छूट दी थी, लेकिन यह छूट आज खत्म हो रही है। ऐसे में जीपीएस से लैस गाड़ियां ही यहां से गुजरती हैं।

संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) के सचिव/आरटीओ सुनील शर्मा ने बताया कि इस क्षेत्र में शुक्रवार से केवल वही यात्री वाहन संचालित होंगे, जिनमें जीपीएस लगा होगा। वाहन संचालकों को जीपीएस लगाने के लिए आरटीए ने 15 फरवरी तक की छूट दी थी, जो आज समाप्त हो जाएगी। जिन वाहनों में जीपीएस नहीं लगा होगा, वह प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर संचालित हो सकेंगे।

राज्य सरकार की मंजूरी मिल गयी ( got approval from the state government)

संभागीय परिवहन सचिव सुनील शर्मा ने बताया कि 23 दिसंबर को गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडे की अध्यक्षता में हुई आरटीए बैठक में लिए गए निर्णयों को 11 जनवरी को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी। इन निर्णयों पर परिवहन मंत्रालय द्वारा 12 जनवरी को आदेश जारी किए गए। .

वाहन का परमिट निरस्त होगा ( vehicle permit will be canceled)

आदेश में सड़क यातायात में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और बंद स्थानों, चौराहों और मार्गों पर यात्री वाहन के संचालन की स्थिति में वाहन संचालन परमिट को रद्द करने का भी प्रावधान है।
नो-पार्किंग जोन में वाहन खड़ा किया तो कार्रवाई होगी।

नो-पार्किंग जोन में वाहन खड़ा करने पर यात्री वाहन का परमिट भी रद्द कर दिया जाएगा। घंटाघर के दायरे में जीपीएस स्थिति के आधार पर सिटी बसें, प्राइवेट बसें, टैक्सी, कार, विक्रम, मैक्सी आदि चलती हैं। वाहन में जीपीएस लगा होने पर ही काम करें।

विक्रम व कार संचालकों ने विरोध जताया ( Vikram and car operators protested)

विक्रम और कार संचालकों ने घंटाघर के आसपास जीपीएस के जबरन इस्तेमाल का विरोध किया। इस संदर्भ में पिछले सप्ताह आरटीओ सुनील शर्मा की अध्यक्षता में सभी परिवहन क्षेत्र के संगठनों की बैठक भी हुई थी. सिटी बसों, निजी बसों और टाटा मैजिक के संचालकों ने जीपीएस की स्थिति को स्वीकार कर लिया है, लेकिन विक्रम और ऑटो संचालक विरोध पर अड़े हुए हैं। अब देखना यह है कि परिवहन मंत्रालय शुक्रवार से प्रतिबंधित क्षेत्र में इन वाहनों की आवाजाही रोकने में कितना सफल होगा।

यात्रियों की निगरानी जारी रहेगी ( Monitoring of passengers will continue)

अब परिवहन मंत्रालय के पास इसकी पूरी जानकारी है कि एक कार दिन में कितनी बार घंटाघर और उसके आसपास से गुजरती है। जीपीएस की मदद से परिवहन विभाग हर वाहन पर नजर रख सकता है. यह भी सुनिश्चित करता है कि वाहन परमिट की शर्तों के अनुरूप संचालित है या नहीं। इस हेतु एनआईसी के माध्यम से एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है।

कंट्रोल रूम से चेतावनी जारी की जाती है ( Warning is issued from control room)

यातायात दुर्घटना सचिव ने बताया कि पहली बार नियमों का उल्लंघन होने पर वाहन चालक को कंट्रोल रूम से चेतावनी दी जायेगी. यदि नियमों का दोबारा उल्लंघन किया गया तो परमिट रद्द कर दिया जाएगा और एटीसी में सुनवाई होगी। तीसरी बार नियमों का उल्लंघन करने पर परमिट रद्द कर दिया जायेगा.