पेयजल निगम में विजिलेंस की रेड, भजन सिंह पर कस सकता है शिकंजा

– पूर्व एमडी भजन सिंह पर अपने कार्यकाल के दौरान 400 करोड़ के 8 एसटीपी व सीवेज निर्माण र्में अनियमितता के आरोप

– दून में मोहनी रोड स्थित पेयजल निगम मुख्यालय व हरिद्वार के जगजीतपुर में निगम के जीएम दफ्तर में खंगाले दस्तावेज

जनपक्ष टुडे ब्यूरो, देहरादून: पहले से आय से अधिक संपत्ति समेत अनियमितताओं से जुड़े कई मामलों की जांच का सामना कर रहे उत्तराखंड पेयजल निगम के पूर्व एमडी भजन सिंह की मुश्किलें और बढ़ गई है. अब उनके कार्यकाल में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में भारी अनियमितताएं सामने आई है. पूरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते भजन सिंह विवादों में रहे। रिटायरमेंट के बाद भी वह जांच एजेंसियों के निशाने पर है। रिटायरमेंट के बाद घर और आराम फरमाने जे बजाय वह इधर-उधर दौड़ लगा रहे हैं।

विजिलेंस ने छापेमारी के दौरान कब्जे में लिए कई दस्तावेज

थर्सडे को विजिलेंस की टीमों ने देहरादून व हरिद्वार में निगम दफ्तर में रेड डाल कर एसटीपी निर्माण से जुड़े सभी दस्तावेज कब्जे में लिए हैं. बहरहाल जांच में जो भी तथ्य सामने आए, लेकिन भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में भजन सिंह पर विजिलेंस का शिकंजा कसना तय माना जा रहा है.

MD रहने के दौरान जांच पर रोक को हाईकोर्ट से लिया स्टे
राज्य के गढ़वाल परिक्षेत्र में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 7 जगह एसटीपी बनाए गए. करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए एसटीपी में भारी वित्तीय अनियमिताएं सामने आई हैं. परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बाद इस मामले में नमामि गंगे की ओर से मामले की जांच की संस्तुति की गई, पद पर रहने के दौरान एमडी भजन सिंह ने जांच पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने इस केस पर स्टे लगा दिया था.

2009 से 2020 बीच के हैं सभी मामले 
मामला तब आगे बढ़ा जब 2020 में भजन ङ्क्षसह रिटायर हुए. अब कोर्ट ने केस पर लगे स्टे को हटाते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं, जिसके बाद विजिलेंस ने प्रकरण की जांच शुरू कर दी. ये एसटीपी 2009 से 2020 के बीच निर्मित किए गए. विजिलेंस पूरे मामले की जांच में जुट गई है. विजिलेंस की टीम थर्सडे सुबह 11 बजे के लगभग दून के मोहनी रोड स्थित पेयजल निगम मुख्यालय व हरिद्वार में जगजीतपुर स्थिति निगम के जीएम नमामि गंगे दफ्तर पहुंची. जहां पर दस्तावेजों की जांच शुरू की गई. इस दौरान दोनों टीमों ने परियोजना से संबंधित दस्तावेज कब्जे में लिए हैं.

यहां बनाए गए थे एसटीपी
हरिद्वार
जोशीमठ,
मुनिकीरेती
ऋषिकेश
कर्णप्रयाग
गोपेश्वर
नंदप्रयाग
बद्रीनाथ

एसटीपी निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप
एसटीपी के निर्माण में करीब 400 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई है. एसटीपी निर्माण के दौरान से ही उन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप गाहे बगाहे लगते रहे हैं. अब विजिलेंस ने इस मामले की जांच जेज कर दी है. जांच के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन बहरहाल विजिलेंस की रेट के बाद भजन सिंह की मुश्किलें तो बढ़ ही गई है.

आय से अधिक संपत्ति  की भी चल रही जांच
विजिलेंस पूर्व एमडी के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति की जांच भी कर रही है. आरोप है कि पूर्व एमडी ने पद पर रहते हुए चहेतों को फायदा पहुंचाया. बता दें कि भजन सिंह 2009 में पेयजल के प्रभारी एमडी बने. उनके कार्यकाल के दौरान नमामि गंगे के तहत कई हजार करोड़ के निर्माण कार्य हुए. उनके पास पेयजल के साथ-साथ सीवरेज एवं नमामि गंगे जैसे महत्वूपर्ण प्रोजेक्ट का भी दायित्व था. भजन सिंह एमडी पद पर करीब 10 साल से ज्यादा समय तक तैनात रहे. इस दौरान उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे, लेकिन तैनाती के दौरान तक वह पद को ढाल बनाते रहे. अब रिटायर होने के बाद उनकी एक के बाद एक जांच शुरू हो गई है.

भजन सिंह के खिलाफ चल रही ये जांचें
– आय से अधिक संपत्ति
– नमामि गंगे परियोजना के तहत हुए निर्माण कार्य में अनियमितता
– पिथौरागढ़ में 75 करोड़ की लागत से आंवलाघाट पेयजल योजना की जांच
– विभागीय स्तर पर अन्य अनियमितता की भी जांच चल रही है.
– विजिलेंस की ओर से ये अलग-अलग की जा रही ये जांचें