यूपी में सपा को काबू में रखने के लिए ‘मायावती कार्ड’? इस तरह बैलेंस गेम खेल रही कांग्रेस

‘Mayawati card’ to keep SP under control in UP? This is how Congress is playing the balance game

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अविनाश पांडेय ने कहा कि कुछ अखिल भारतीय सहयोगी दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संपर्क में हैं। उन्होंने लखनऊ में यूपी कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से यह भी कहा कि एक राष्ट्रीय स्तर की समन्वय समिति इस मामले पर काम कर रही है। हमें बसपा के साथ साझेदारी के बारे में किसी चर्चा की जानकारी नहीं है।’

अविनाश पांडेय का बयान ऐसे समय में आया है जब समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव ने भारतीय गठबंधन में बसपा के प्रवेश का खुलकर विरोध किया है। दिल्ली में हुई बैठक में अखिलेश यादव ने बीएसपी से गठबंधन की बात उठाई और सीट खाली करने की मांग की. उन्होंने यहां तक ​​कहा कि अगर बसपा भारतीय गठबंधन में शामिल होती है तो सपा को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. अखिलेश ने बसपा के भारतीय गठबंधन में शामिल होने पर सपा के बाहर होने की भी बात कही।

अखिलेश भारतीय गठबंधन में बसपा की भागीदारी पर एक सवाल के जवाब में जहां अखिलेश ने चुनाव बाद विश्वास का मुद्दा उठाया, वहीं बसपा प्रमुख ने सपा पर पलटवार किया। मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए यहां तक ​​कह दिया कि हमें सपा से खतरा है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिशों पर भी सवाल उठे. यह भी सवाल उठाए गए हैं कि क्या कांग्रेस अकीश को नियंत्रित करने के लिए संतुलन बनाकर चल रही है या नहीं।

कैसे बैलेंस गेम खेल रही कांग्रेस ( How is Congress playing the balance game?)

दरअसल, मध्य प्रदेश चुनाव में जब कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी तभी से अखिलेश यादव के तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं. अखिलेश यादव ने यह कहा था कि जिस तरह का व्यवहार हमारे साथ मध्य प्रदेश में होगा, वैसा ही हम उत्तर प्रदेश में करेंगे. अखिलेश ने एक बात पहले ही साफ कह दी है कि यूपी में गठबंधन का नेतृत्व सपा ही करेगी.

राहुल की न्याय यात्रा को लेकर सवाल पर भी अखिलेश यादव ने यह कहा था कि सीट शेयरिंग हो जाएगी तब हम भी चले जाएंगे. इस बयान को भी अखिलेश यादव की ओर से कांग्रेस को आंखें दिखाने की तरह देखा जा रहा था. इन सबके बीच अब कांग्रेस की ओर से बसपा से बातचीत को लेकर आए बयान और मायावती के इंडिया गठबंधन पर नरम और अखिलेश को लेकर तल्ख पलटवार को ग्रैंड ओल्ड पार्टी के बैलेंस गेम की तरह देखा जा रहा है.

इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री से क्या बदलेगा ( What will change with the entry of BSP in India alliance)

अब सवाल ये भी है कि बसपा की इंडिया गठबंधन में एंट्री हो भी गई तो क्या बदलेगा? कहा जा रहा है कि इससे दो महत्वपूर्ण बदलाव होंगे. एक बदलाव ये होगा कि कांग्रेस और सपा पहले से ही इंडिया गठबंधन में हैं. ऐसे में बसपा के आने से सूबे की लोकसभा सीटों पर सीधे मुकाबले के आसार बनेंगे. दूसरा बदलाव सपा को प्रभावित करेगा. सपा प्रमुख अखिलेश गठबंधन में बसपा की एंट्री का लगातार विरोध कर रहे हैं और एग्जिट की धमकी तक दे चुके हैं.

सपा प्रमुख अखिलेश ने मायावती की पार्टी के इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर एक सवाल पर चुनाव बाद के भरोसे की बात छेड़ दी तो वहीं मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए सपा पर पलटवार किया है. मायावती ने सपा से खतरा बताते हुए भी हमला बोला है. पिछले कुछ दिनों में जिस तरह सपा-बसपा में तल्ख जुबानी जंग छिड़ी है, दोनों दलों का एक साथ एक गठबंधन में रहना कैसे संभव हो पाता है? यह भी देखने वाली बात होगी.

बसपा की मौजूदगी से मनमानी नहीं कर पाएंगे अखिलेश ( Akhilesh will not be able to act arbitrarily due to the presence of BSP)

वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी ने कहा कि मुखर विरोध के बावजूद अगर इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री होती है तो यह अखिलेश की गठबंधन में कमजोर पकड़ का ही परिचायक होगा. सपा अगर बसपा की एंट्री के बाद भी इंडिया गठबंधन में रहती है तो भी अखिलेश अपने मन की इतने खुलकर नहीं कर पाएंगे. यह अखिलेश पर नकेल के लिए कांग्रेस और दूसरे दलों की रणनीति के तहत भी हो सकता है.

बसपा का विकल्प दिखा अधिक सीटें पाने की रणनीति ( BSP’s strategy to get more seats by showing its option)

इंडिया गठबंधन के घटक दल, खासकर कांग्रेस अगर बसपा से गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है तो यह एक तरह से तल्ख तेवर दिखा रहे अखिलेश पर प्रेशर बनाने की रणनीति के तहत भी हो सकता है. कांग्रेस को शायद यह उम्मीद हो कि अखिलेश को बसपा से गठबंधन का विकल्प खुला होने, बातचीत जारी रहने का संदेश देकर अधिक सीटें पाने के लिए दबाव बनाया जाए.

सीट शेयरिंग पर सपा से बात नहीं बनी तो प्लान बी ( Plan B if talks do not work out with SP on seat sharing)

प्लान बी भी एक फैक्टर बताया जा रहा है. कांग्रेस की रणनीति हो सकती है कि सीट शेयरिंग पर अगर सपा से बात नहीं बन पाए तो पार्टी के पास बसपा से गठबंधन के रूप में प्लान बी भी मौजूद रहे. शायद यही वजह है कि अखिलेश के विरोध के बाद भी कांग्रेस ने बसपा से बातचीत की खिड़की खुली रखी है. कांग्रेस की ओर से ये बयान ऐसे समय आया है जब सीट शेयरिंग को लेकर पार्टी नेताओं के साथ लखनऊ में मंथन कर रहे हैं.