उत्तराखंड: सरकार से बड़े हो गए अफसर, मंत्री बोले नहीं मान रहे वित्त सचिव, मुख्यमंत्री से करूंगा वार्ता

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ट्रेजरी से वेतन भुगतान की मांग को लेकर पेयजल कर्मियों का निगम मुख्यालय में बेमियादी अनशन शुरू, अनशन वापस लेने के एमडी के अनुरोध को अनशनकारियों ने ठुकराया, बोले अब शासनादेश जारी होने के बाद ही तोड़ेंगे अनशन, उधर, आंदोलन के समर्थन में जिला और ब्लाक स्तर पर कार्मिकों ने शुरू किये धरना प्रदर्शन

जनपक्ष टुडे ब्यूरो, देहरादून। ट्रेजरी से वेतन भुगतान की एक सूत्रीय मांग को लेकर उत्तराखंड पेयजल निगम, अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने जल निगम मुख्यालय में मंगलवार से नो पे- नो वेतन के साथ बेमियादी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। समन्वय समिति के अध्यक्ष इंजीनियर जितेंद्र सिंह देव और महामंत्री विजय खाली आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। जबकि भगवती प्रसाद पोखरियाल और ईश्वर पाल शर्मा क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। अनशनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी है अब ट्रेजरी से वेतन को शासनादेश जारी होने के बाद ही वह अनशन तोड़ेंगे। इसके लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है।

उधर, आमरण अनशन प्रारंभ होते ही प्रदेश भर में जल निगम के कार्यालयों में स्वतः स्पूर्त्त कर्मचारियों द्वारा बैठकें एवं धरना कार्यक्रम आदि शुरू कर दिए गए हैं। प्रदेश भर में कर्मचारियों द्वारा सांकेतिक तौर पर कार्य बंद कर कार्यालयों में धरना धरना देकर आक्रोश व्यक्त किया और  पेयजल मंत्री के निर्देशों की अवहेलना करने पर वित्त विभाग की निंदा की है।

इधर, देहरादून स्थित प्रधान कार्यालय में आमरण स्थल पर आयोजित बैठक ने जल निगम समन्वय समिति के पदाधिकारियों द्वारा सभी सदस्यों की उपस्थिति में यह निर्णय लिया गया कि मांग पूरी होने तक आमरण अनशन जारी रहेगा। सरकार द्वारा पूर्व में भी की गई हड़ताल में नो वर्क नो पे लागू किया जाता रहा है, लेकिन उत्तराखंड राज्य के इतिहास में पहला अवसर होगा जब नो पे- नो वर्क कर्मचारियों द्वारा स्वयं लागू किया गया है।

बैठक में कर्मचारी नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार और शासन द्वारा वेतन भुगतान अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है जो दंडनीय अपराध है और यह श्रम कानूनों के विपरीत बजी है। वेतन भुगतान न होने पर कार्मिकों को कार्य करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। तीन-तीन चार-चार माह तक वेतन-पेंशन न मिलना कार्मिकों के साथ अन्याय है, जिसे अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि वेतन भुगतान न होने पर भी पेयजल निगम के कार्मिक दिन-रात जल जीवन मिशन कार्यों को युद्ध स्तर पर कर रहे हैं, उनको कोषागार से वेतन देने की सहमति के बाद भी शासनादेश जारी न करना और लगातार वेतन से वंचित करना कार्मिकों के साथ अत्याचार है।

कहा कि जहां एक और अन्य विभागों के कर्मचारी अपने वेतन भक्तों को बढ़ाने की मांग पर हड़ताल पर चले जाते हैं, वहीं पेयजल निगम के कर्मचारी अथक मेहनत करने के बाद भी अपने अधिकार से वंचित हैं। इसलिए समन्वय समिति द्वारा एकमत से निर्णय लिया गया कि मांगे पूरी ना होने पर कार्य स्थलों पर चल रहे सभी निर्माण कार्यों का अनुश्रवण भी वह बंद कर दिया जाएगा और निगम के अंतर्गत संचालित पेयजल योजनाओं में कोई व्यवधान आने पर उसके निराकरण के लिए कोई कार्यवाही नहीं करेंगे। इस कारण यदि पेयजल समस्या संकट उत्पन्न होता है तो उसके रूप से पूर्ण रूप से निगम प्रबंधन ही जिम्मेदार होगा।

मंगलवार को हुई आम बैठक में सामूहिक निर्णय लिया गया कि नो पे – नो वर्क और आमरण अनशन मांग पूरी होने तक जारी रहेगा, चाहे इसके लिए पेयजल निगम के कार्मिकों को कोई भी बलिदान देना पड़े।

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड में लगता है शासन सरकार से ऊपर हो गया है। तभी तो मंत्री की स्वीकृति के बाद शासन में बैठे अफसर फाइलों पर कुंडली मारकर बैठ जाते हैं। कहा कि पेयजल निगम के कार्मिकों को ट्रेजरी से वेतन भुगतान को दो माह पूर्व हड़ताल समाप्त करने को सरकार, शासन और निगम प्रबंधन के साथ समन्वय समिति की समझौता वार्ता हुई थी, जिसमे 15 दिन के भीतर शासनादेश जारी करने को सहमति बनी। लेकिन दो माह बाद भी शासनादेश जारी न होने पर कार्मिकों में भारी आक्रोश है। कार्मिक अब मांग पूरी होने के लिए किसी भी स्थिति का सामना करने को तैयार है।

इस दौरान पेयजल निगम के महाप्रबंधक भूजल प्रवीण कुमार राय, महाप्रबंधक अप्रैजल आलोक कुमार समेत समन्वय समिति के अध्यक्ष जितेंद्र देव, महामंत्री विजय खाली, सौरभ शर्मा, रामकुमार, अरविंद सजवाण, अजय बेलवाल, विजेन्द्र सुयाल, भजन सिंह चौहान, गौरव बर्तवाल, लक्ष्मी नारायण भट्ट, विशेष शर्मा, राजेन्द्र सिंह राणा, योगेश कुमार,  प्रमोद नौटियाल, धर्मेंद्र चौधरी, कमल कुमार समेत जल संस्थान संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष रमेश बिंजोला, श्याम सिंह नेगी, शिशुपाल रावत और संदीप मल्होत्रा आदि समेत कई पदाधिकारी मुख्य रूप से मौजूद रहे।

अनशनकारियों को प्रबन्ध निदेशक उदयराज ने दिलाया भरोसा

पेयजल मुख्यालय में आयोजित अनशन स्थल पर पहुंचे प्रबन्ध निदेशक उदयराज सिंह ने कहा कि प्रबंधन कार्मिकों की समस्याओं के प्रति गम्भीर है। कार्मिकों को अगले तीन साल तक वेतन-पेंशन की नियमित व्यवस्था की कार्रवाई चल रही है, लेकिन कर्मचारी हर माह वेतन की स्थायी समाधान की मांग कर रहे है, जो उनका अधिकार भी है। इसके लिए ट्रेजरी से वेतन- पेंशन की कार्रवाई शासन स्तर पर चल रही है। इस दिशा में प्रबंधन लगातार प्रयासरत है। उन्होंने अनशनकारियों से तब तक के लिए आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया। लेकिन अनशनकारियों ने उनके आग्रह को ठुकरा दिया और घोषणा की है कि अब वह तभी अन्न ग्रहण करेंगे जब शासनादेश उनके सामने होगा।

शासन से लगातार संपर्क में हैं, शासन और सरकार को करा दिया है स्थिति से अवगत: पन्त 

मुख्य अभियन्ता मुख्यालय सुरेश चंद्र पन्त ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रबंधन कार्मिकों की समस्याओं के पूरी तरह संजीदा है। कार्मिकों को काम के बदले हर माह वेतन मिलना उनका अधिकार है, लेकिन निगम की सेंटेज आधारित व्यवस्था माह वेतन- पेंशन भुगतान नहीं कर पा रहा है। इसके लिए सरकार ने ट्रेजरी से वेतन- पेंशन दिलाने को सैद्धांतिक सहमति दे दी है, जिस सम्बन्ध में शासन स्तर पर कार्रवाई गतिमान है। मामला वित्त विभाग के पास है, जहां लगातार पैरवी की जा रही है। आमरण अनशन से शासन और पेयजल मंत्री को भी सूचित किया गया है। पेयजल मंत्री देहरादून से बाहर हैं, जैसे ही वह देहरादून पहुंचेंगे वैसे ही वार्ता कर मसमले को जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करेंगे।

नहीं मान रहे वित्त सचिव, मुख्यमंत्री से करूंगा वार्ता: चुफाल

पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने आमरण अनशन को लेकर कहा कि यह सब उनके संज्ञान में है, कार्मिकों की मांग जायज है। तभी उन्होंने वेतन को ट्रेजरी के माध्यम से कराने की व्यवस्था बनाई है। इसके लिए शासन को निर्देश दिए गए। फाइल स्वीकृति को वित्त विभाग के पास है, लेकिन वित्त सचिव नहीं मान रहे हैं। वित्त सचिव का कहना है कि यदि जल निगम के कार्मिकों की मांग पूरी की गई तो 7 अन्य निगम भी यह मांग करेंगे, जिसको पूरा करना सम्भव नही है। मंत्री ने कहा कि मैं अभी अपनी विधानसभा क्षेत्र में हूं, देहरादून लौटते ही इस सम्बंध में मुख्यमंत्री से वार्ता कर समस्या के जल्द समाधान की कोशिश की जाएगी।

 

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