– उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोनिवि के प्रांतीय अधिवेशन में संघ की नई कार्यकारिणी के चुनाव भी हुए सम्पन्न,
– मंत्री बोले, इंजीनियर प्रदेश की रीढ़, उच्च गुणवत्ता और निवीनतम तकनीकियों के साथ प्रदेश के विकास को तेजी से आगे बढाने का भी किया इंजीनियरों से आव्हान

मंत्री के समक्ष संघ ने रखी 11 सूत्रीय मांगें, महाराज ने दिया मांगों पर जल्द से जल्द कार्यवाही का भरोसा
1. विभागीय संरचना में अभियंत्रण संवर्गों का पुनर्गठन राज्य के अन्य अभियंत्रण विभागों के मानकों के अनुरूप एक समान रूप से किया जाय एवं पुनर्गठन में पूर्व में सृजित पी०एम०जी०एस०वाई० संवर्गीय खण्ड जो वर्तमान में समाप्त कर दिये गये हैं, को पुनर्जीवित किया जाय विभागीय ढाँचे में प्रतिनियुक्ति हेतु मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता के पदों की भांति सहायक अभियंता एवं अधिशासी अभियंता के पदों में भी 20 प्रतिशत प्रतिनियुक्ति पदों का सृजन किया जाय।
2. कनिष्ठ अभियंता / अपर सहायक अभियंता को प्रथम ए०सी०पी० के रूप में 10 वर्ष की सेवा पूर्ण किये जाने पर पी0बी0-3 में ग्रेड-पे रू 5400.00 दिये जाने हेतु जारी शासनादेश सं0 499 / XXX (2)/2015, दिनांक 17 दिसम्बर 2015 का अनुपालन किया जाय।
3. कार्यों की विशिष्ट प्रकृति व आवश्यक विशेषज्ञता के मद्देनजर विभाग के फील्ड स्तरीय अभियंताओं (कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता) को “उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम 2017” की परिधि से बाहर रखा जाय।
4. अन्य प्रदेशों की भांति ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की गाइड लाइन्स के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के क्रियान्वयन हेतु उत्तराखण्ड में भी लोक निर्माण विभाग को मुख्य कार्यदायी संस्था बनाया जाय।
5. वर्ष 2005 के पश्चात् नियुक्त कार्मिकों हेतु एन०पी०एस० के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू किया जाय।
6. प्रोन्नति के अवसरों में स्थिरता के मद्देनजर विभागीय संरचना में अधीक्षण अभियंता के पद तक प्रोन्नति हेतु “पृथक समानान्तर गैलरी का गठन अन्य प्रदेशों की भाँति किया जाय एवं प्रतिनियुक्ति हेतु विभागीय अनापत्ति पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति प्रख्यापित की जाय।
7. कार्मिकों की उपस्थिति दर्ज करने हेतु बायोमैट्रिक व्यवस्था प्रारम्भ की गई है लेकिन फील्ड स्तरीय अभियंताओं (कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता) को उनकी विशिष्ट एवं विषम प्रकृति कार्यों एवं दायित्वों के मद्देनजर उन्हें इस व्यवस्था से बाहर रखा जाय।
8. विभाग में प्रोन्नति हेतु विभागीय प्रोन्नति समिति (डी०पी०सी०) की बैठक वर्ष में 2 बार अनिवार्य रूप से आयोजित की जाय एवं लोक सेवा आयोग एवं शासन स्तर पर आयोजित होने वाली डी०पी०सी० में वार्षिक गोपनीय आख्या का संज्ञान में लिए जाने की अवधि के मानक भिन्न-भिन्न है। अतः दोनों स्तरों में एकरूपता स्थापित की जाय।
9. लोक निर्माण विभाग में कार्यरत डिप्लोमा इंजीनियर्स की शासन स्तर से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान हेतु संघ एवं सचिव लो0नि0वि0 के मध्य ग्रीवांस बैठकों का आयोजन प्रत्येक 03 माह में आवश्यक रूप से किया जाना सुनिश्चित करवाया जाय।
10. स्थल पर गतिमान निर्माण कार्यों के नियमित अनुश्रवण व गुणवत्ता परीक्षण हेतु खण्डों में कार्यरत प्रत्येक सहायक अभियंता को विभागीय वाहन अनुमन्य किया जाय।
11. कार्यों की जाँच कार्यों की प्रगति के दौरान ही पूर्ण कर ली जाय एवं लम्बी अवधि से लम्बित जॉच प्रकरणों को शीघ्र निस्तारण कर समाप्त किया जाय।
अधिवेशन में ये रहे मुख्य रूप से मौजूद
डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष एसएस चौहान, प्रांतीय महासचिव मुकेश रतूड़ी, पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष डीसी नौटियाल, नवीन कांडपाल, यूएस महर, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोनिवि के नव निर्वाचित प्रांतीय अध्यक्ष आरसी शर्मा, महासचिव छब्बीलदास सैनी, निवर्तमान प्रांतीय अध्यक्ष आरएस मेहरा, केके उनियाल, दिनेश सिन्धवाल, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ पेयजल निगम के प्रांतीय अध्यक्ष रामकुमार, प्रांतीय उपाध्यक्ष अरविंद सजवाण, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ सिंचाई विभाग के अध्यक्ष बीएस डांगी, महासचिव अनिल पंवार, डिप्लोमा इंजीनियर संघ जल संस्थान के प्रांतीय महासचिव जयपाल सिंह चौहान, सुधीर पंवार, अरुण पांडे, गंगा सिंह चुफाल, एके ध्यानी, शक्ति प्रसाद भट्ट, बीडी बेंजवाल, रमेश चन्द्र शर्मा, वीरेंद्र गुसाई, शक्ति आर्य, ओमजी गुप्ता, प्रताप पंवार, पीसी जोशी, केसी उनियाल, शिवराज लोधी, अरविंद प्रताप सिंह, प्रशांत सेमवाल और नीरज शर्मा समेत बड़ी संख्या में प्रदेशभर से आए इंजीनियर मौजूद रहे।