– विवादित टेंडर आवंटित करने के दौरान पीटकुल चीफ इंजीनियर के साथ ही निविदा समिति के मेंबर थे ऊर्जा निगम के वर्तमान एमडी अनिल कुमार
– जालसजी कर टेंडर हड़पने वाली कंपनी ने गैैंग बनाकर पिटकुल को लगाया करोड़ों का चूना, रडार पर इंजीनियर–
5 कंपनियों ने गैंग बनाकर लूटा सरकारी धन, जीएसटी बिल से पकड़ में आया मामला, 26 के टेंडर में अब कम्पनी 18 करोड़ की और कर रही डिमांड
– 8 लाख प्रति पीस खरीदी एनआईएफपीएस, पिटकुल से वसूले 43 लाख प्रति पीस, 35 में से 28 पीस का किया जा चुका है भुगतान
जनपक्ष टुडे ब्यूरो देहरादून: ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार और परियोजना निदेशक अजय अग्रवाल पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। दोनों पर उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (पिटकुल) में कार्यरत रहने के दौरान एक कम्पनी को 26 करोड़ का टेंडर मिलीभगत से देकर पिटकुल को करोड़ों रूपये का चूना लगाकर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का आरोप है। जांच में आरोप सही पाए जाने पर दोनों अफसरों से सचिव ऊर्जा आर. मीनाक्षी सुंदरम ने स्पष्टीकरण तलब किया है। उधर, पिटकुल प्रबंधन ने ईशान कम्पनी के विरुद्ध भी पटेलनगर कोतवाली में जालसजी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा लिया है।
ऐसे लगाया सरकारी धन को ठिकाने
आपने चोरी डकैती के नाम पर लूट के बहुत सारे मामले सुने होंगे, लेकिन उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कारपरेशन लिमिटेड (पिटकुल) में वैध तरीके से करोड़ों की लूट का मामला आप पहली बार सुन रहे होंगे। कंपनी ने किस तरीके से लूट मचाई है उसका एक उदाहरण सुनकर आप भी दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाएंगे। बताया गया कि सब स्टेशन के लिए ईशान कम्पनी ने जिस नाइट्रोजन इंजेक्शन फायर प्रोटेक्शन सिस्टम (एनआईएफपीएस) के प्रति पीस को 8 लाख रुपये में खरीदा उसका पिटकुल से 43 लाख प्रति पीस के हिसाब से भुगतान लिया. 35 में से 28 एनआईएफपीएस का पिटकुल भुगतान कर चुका है। करीब 2.24 करोड़ के एनआईएफपीएस का करीब 12 करोड़ का भुगतान किया गया। यानी पिटकुल को 9.76 करोड़ का सीधा चुना लगा है। इससे स्पष्ट रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस हद तक सरकारी धन को ठिकाने लगाया गया. हैरत की बात यह है कि यह लूट पिछले 6 साल से होती आ रही है. जिन अफसरों के हाथों में बागडोर थी वही धृष्टराष्ट्र बन सरकारी खजाने को कम्पनी से लुटवाते रहे। मामला उजागर होने के बाद पिटकुल प्रबंधन ने कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है.
पिटकुल को 15 से 20 करोड़ का फटका
सब स्टेशन के निर्माण के टेंडर में करोड़ के घपले की आंच कई इंजीनियरों तक पहुंच सकती है. विभागीय सूत्रों का दावा है कि 26 करोड़ के टेंडर में अधिकारियों ने पिटकुल को 15 से 20 करोड़ की चपत लगाई है. सबसे कम दर पर काम देने वाले अधिकारियों ने मार्केट रेट को पूरी तरह नजरअंदाज किया. टेंडर में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत का पूरी तरह अंदेशा जताया जा रहा है.
5 कंपनियों पर जालसाजी का केस
पिटकुल में सब स्टेशन निर्माण के लिए वर्ष 2016 में ईशान एंटरप्राइजेज ने 26 करोड़ का टेंडर लिया. विभागीय सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने टेंडर को नियम विरुद्ध तरीके से एक्सपीरियंस न होने के बाद भी ईशान एंटरप्राइजेज को दो अन्य कंपनियों सीटीआर और वैन्सन कंपनी के ज्वाइंट वैंचर में दिया गया. सबसे अहम बात यह है कि तीनों कंपनियों के साथ ही निविदा प्रतिस्पर्धा में पार्टिसिपेट करने वाली दो अन्य कंपनी एचएससी इंफ्रा प्रोजेक्ट्स और सीगनेट प्रोडक्ट्स प्रा. लि. की टेंडर फीस का ड्राफ्ट भी एक ही कंपनी के खाते से बनाया गया है. इससे स्पष्ट होता है कि टेंडर हड़पने के लिए पांचों कंपनियों ने जालसाजी कर टेंंडर पड़पा. सभी कंपनियों में ईशान के रेट सबसे कम हैं, जो अप्रत्याशित बताया जा रहा है. पिटकुल ने पांचों कंपनियों के खिलाफ पटेलनगर थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है. बताया जा रहा कि पांचों कंपनियों को ब्लेक लिस्ट किया जाएगा.
घपले में नप सकते हैं कई इंजीनियर
चौंकाने वाली बात यह है कि टेंडर को 15 दिन में खोलने का नियम है, लेकिन 4 दिन पहले ही यानि 11 दिन में इस टेंडर को खोल दिया गया. 8 लाख में प्रति नग खरीद पर कंपनी को 43 लाख प्रति नग के हिसाब से 28 नगों का अब तक भुगतान भी कर लिया. सब स्टेशन का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, तब जाकर मामला खुल रहा है. इस मामले में एक पूर्व एमडी एसएस यादव समेत पूर्व चीफ इंजीनियर क्रय एवं अनुबंध अनिल कुमार और अधीक्षण अभियंता अजय अग्रवाल लपेटे में आ गए हैं. एमडी एसएस यादव अब उत्तराखंड में नहीं है, लेकिन अनिल कुमार और अजय अग्रवाल ऊर्जा निगम में कार्यरत हैं।
गैंग बनाकर लूटने वाली ये कंपनियां होंगी ब्लैक लिस्ट
ऊर्जा निगम के एमडी अनिल कुमार और डायरेक्टर प्रोजेक्ट अजय अग्रवाल से हो सकती है रिकवरी
पिटकुल में 26 करोड़ के टेंडर घपले में शासन ने बड़ा कदम उठाते हुए यूपीसीएल के एमडी और निदेशक परियोजना को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के भीतर जवाब देने की सख्त हिदायत दी है। बता दें कि तीन अलग अलग कंपनियों की ओर से पूल कर जवाइंट वेंचर में 26 करोड़ का टेंडर लिया था। पिटकुल प्रबंधन की इस कार्रवाई पर तत्काल हरकत में आते हुए सरकार ने सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से रविवार को ही सचिवालय में ऑफिस खुलवा कर नोटिस जारी किए गए। दरअसल एमडी अनिल यादव टेंडर प्रक्रिया के समय मुख्य अभियंता क्रय एवं अनुबंध और निदेशक प्रोजेक्ट अजय अग्रवाल उस दौरान पिटकुल में अधीक्षण अभियंता क्रय एवं अनुबंध थे। शासन ने नोटिस जारी करते हुए दो टूक पूछा है कि टेंडर प्रक्रिया में नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया है।
26 करोड़ के घपले के बाद अब कम्पनी ने की 18 करोड़ की और डिमांड
पिटकुल में 26 करोड़ का विवादित टेंडर कांग्रेस शासन में हुआ था। इसी टेंडर में 18 करोड़ अतिरिक्त की मांग हुई। 2016 से 2022 तक इस मामले में कोई कारण नही हुई। अब इस घपले को न सिर्फ बाहर लाया गया, बल्कि कार्रवाई करते हुए केस दर्ज कराया गया।अब टेंडर घपले की आरोपी कंपनी की ओर से 18 करोड़ के “अतिरिक्त भुगतान की डिमांड की जा रही है। आर्बिटेशन में केस चल रहा है। पिटकुल के ही कुछ अफसरों ने मैनेजमेंट पर कंपनी को लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप भी लगाए थे। ताकि आर्बिटेशन में कंपनी को लाभ मिले।
MD Pitcul PC Dhyani
जांच में घपले की बात सामने आने के बाद ईशान एंटरप्राइजेज की 2.66 करोड़ बैंक गारंटी जब्त कर ली गई है. टेंडर में प्रतिभाग करने वाली सभी पांचों कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है. घपले में शामिल इंजीनियरों के खिलाफ सरकार की जीरो टालरेंस नीति के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. “पीसी ध्यानी, एमडी, पिटकुल”
Secretary Energy, R. Meenakshi Sundram
टेंडर पूल मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। योजनाओं में इस तरह की गड़बड़ी को किसी भी सूरत में कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले में ऊर्जा निगम के एमडी और निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। कहीं भी भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई, तो सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी है।आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव ऊर्जा