पेयजल निगम के राजकीयकरण के मसले पर सरकार की सुस्ती पर भड़के कार्मिक, बोले हड़ताल को मजबूर कर रहे हैं शासन में बैठे अफसर

उत्तराखंड कर्मचारी हलचल
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– मांग के समर्थन में पेयजल निगम मुख्यालय पर धरने पर बैठे अधिकारी-कर्मचारी

देहरादून। उत्तराखंड पेयजल निगम के राजकीयकरण की एक सूत्री मांग को लेकर कार्मिकों ने कमर कस ली है। शनिवार को अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति, उत्तराखंड पेयजल निगम के आह्वान पर गढ़वाल क्षेत्र के कार्मिकों और पेंशनर्स ने पूर्व घोषित आंदोलन कार्यक्रम के तहत आज निगम मुख्यालय में धरना दिया।आंदोलित कार्मिकों ने चेतावनी दी है कि राजकीयकरण के अलावा अब सरकार और शासन के किसी भी समझौते को वह स्वीकार नहीं करेंगे। यदि सरकार ने जल्द मांग पर अमल नहीं किया तो 28 अक्टूबर से प्रदेशभर में अनिश्चतकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी। बाद में समिति पदाधिकारियों ने मुख्य अभियंता मुख्यालय एससी पन्त को प्रबन्ध निदेशक, पेयजल सचिव और विभागीय मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन भी सौंपा।

मोहनी रोड स्थित पेयजल निगम मुख्यालय में आयोजित धरने को सम्बोधित करते हुए समन्वय समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह देव ने कड़ा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड पेयजल निगम के राजकीयकरण के लिए कमेटी गठन के लगभग 8 माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। राजकीयकरण न होने से पेयजल निगम के कार्मिकों के वेतन भुगतान कई-कई महीनों तक नहीं हो रहा है, जिस कारण कार्मिकों के समक्ष गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, बावजूद इसके सरकार के मंत्री और शासन में बैठे अफसर लापरवाह बने हुए हैं, जिससे निगम कार्मिकों में भारी असंतोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि अब कर्मचारी मंत्री और अफसरों को चैन से बैठने नहीं देंगे। जब तक पेयजल निगम को राजकीय विभाग घोषित नहीं किया तब तक आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।

इंजीनियर रामकुमार, अजय बेलवाल और अरविंद सजवाण ने कहा कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में भी निगम कार्मिक जान जोखिम में डालकर कार्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ रहे हैं, वहीं सरकार द्वारा वेतन और पेंशन भुगतान में कोई रुचि नहीं ली जा रही है। उन्होंने कहा कि पेयजल निगम एक राजकीय निगम है और राजकीय निगम होने के नाते वेतन, पेंशन और भत्तों का उत्तरदायित्व राज्य सरकार का है।

समिति के महासचिव विजय खाली ने आरोप लगाया कि सरकार और शासन राजकीयकरण के मामले को लगातार लंबित किया जा रहा है। अब पेयजल निगम कार्मिकों के सामने राजकीयकरण की मांग को पूरा कराने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं है। मांग को मनवाने के लिए समन्वय समिति 27 जुलाई की बैठक में लिए गए निर्णय के क्रम में चरणबद्ध आंदोलन चला रही है। कहा कि अब मांग मनवाने के बाद ही चैन की सांस लेंगे।

वक्ताओं ने इस बात पर भी कड़ा आक्रोश जताया कि पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने भी प्रकरण पर शीघ्र कार्रवाई का भरोसा दिया था, लेकिन आज तक मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मंत्री भी आश्वासन देकर भूल गए। कहा कि सरकार के जिम्मेदार मंत्री और अधिकारी कार्मिकों को हड़ताल पर भेजने को उकसा रहे हैं। उन्होंने चेताया कि यदि अफसरों की यही मंशा है तो सरकार उग्र आन्दोलन का सामना करने को तैयार हो जाए।

समिति द्वारा मांग के समर्थन में 20 सितंबर को कुमाऊं मंडल में मुख्य अभियंता हल्द्वानी के कार्यालय में एक दिवसीय धरना दिया जाएगा और 25 सितंबर से 27 सितंबर तक प्रदेश के समस्त कार्यालयों में जनपद एवं नगर इकाइयों द्वारा धरना कार्यक्रम किए जाएंगे। 25 अक्टूबर से प्रदेशभर में जिला और नगर इकाइयों दारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद भी सरकार नहीं चेती तो 28 अक्टूबर से उत्तराखंड पेयजल निगम में प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। कहा कि तब बिना राजकीयकरण की मांग पूरी किए किसी भी दिशा में हड़ताल वापसी नहीं होगी। आज के धरने की अध्यक्षता गढ़वाल अध्यक्ष शेखरानंद जोशी और संचालन गढ़वाल सचिव दिनेश दवाण ने किया।

चीफ इंजीनियर बोले मैं समस्या से वाकिफ हूं, थोड़ा समय चाहिए

पेयजल मुख्यालय में आयोजित धरने पर निगम प्रबन्धन की ओर से पहुंचे मुख्य अभियंता मुख्यालय एससी पन्त ने कहा कि वह समस्या से भली भांति वाकिफ है। वह समन्वय समिति के पूर्व में चेयरमैन रहे हैं। समिति की मांग जायज है, लेकिन राजकीयकरण का मसला पॉलिसी मैटर है। जिस पर सरकार और शासन को निर्णय लेना है। उन्होंने कहा कि वह कार्मिकों की इस मांग को वह पुरजोर तरीके से प्रबंधन, शासन और सरकार तक पहुंचाएंगे। इसके लिए उन्होंने सभी कार्मिकों के सहयोग की अपेक्षा की है।

मुख्य अभियन्ता ने कहा कि उन्होंने अभी एक माह पूर्व कार्यभार संभाला है। तीन माह पूर्व दिए गए आंदोलन नोटिस की जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा कि पेयजल का कार्य समाज सेवा से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे सेंटेज बेस्ड संचालित करना जायज नहीं है। उत्तराखंड में दूसरे राज्यों से अलग पेयजल के अंतर्गत कई विभाग हैं, जिससे पेयजल निगम के पास वर्क कम हो गया है। कोरोना महामारी के चलते स्थिति और खराब हो गई है।

चीफ इंजीनियर पन्त ने कहा कि कुछ कार्यों में योजनाओं के निर्माण की गति बहुत धीमी है। इस रफ्तार को निगम हित में तेज करना बेहद जरूरी है। इसके लिए अच्छे अधिकारियों-कर्मचारियों को आगे लाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि काम छोड़कर बगैर छुट्टी के मुख्यालय में अनावश्यक चक्कर लगाने वाले कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगा।

धरने में मुख्य रूप से ये रहे शामिल

निगम मुख्यालय में आयोजित धरने पर हरिद्वार जिले से दीपक गुसांई, कुमार गौरव, ब्रिज बिहारी, शीतल सिंह राठौर, टिहरी से एसएन जोशी, रामपाल सिंह राणा, दिनेश दवाण, दीपक चमोली, मनीष कुमाई, नरेंद्र सिंह, पौड़ी से प्रदीप कठैत, विकास, मुनिकीरेती से सुबोध थपलियाल, हरीश रावत, रुड़की से अनुराग शर्मा के अलावा पेयजल निगम के सभी मान्यता प्राप्त संगठनों के प्रांतीय पदाधिकारी इं. पल्लवी कुमारी, इं. दिनेश भंडारी, इं. रामकुमार, इं. अजय बेलवाल, इं. सौरभ शर्मा, इं. अरविंद सजवाण, इं. भजन सिंह, धर्मेन्द्र चौधरी, मनमोहन नेगी, विशेष कुमार शर्मा, आरएस बिष्ट, लक्ष्मी नारायण भट्ट, आरके रोनिवाल, एलडी भट्ट, ईश्वर पाल शर्मा, कमल कुमार और सत्य प्रकाश डंडरियाल आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।

11 thoughts on “पेयजल निगम के राजकीयकरण के मसले पर सरकार की सुस्ती पर भड़के कार्मिक, बोले हड़ताल को मजबूर कर रहे हैं शासन में बैठे अफसर

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