देहरादून। दून यूनिवर्सिटी को आखिरकार नई कुलपति मिल गई हैं। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष की प्रोफेसर डॉ सुरेखा डंगवाल को कुलपति की जिम्मेदारी दी गई। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने शनिवार को कुलपति पद पर तीन वर्ष के लिए उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं।
दून यूनिवर्सिटी में लम्बे समय से कुलपति की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं चल रही थी। इस लेकर सर्च कमेटी ने कुलपति के चयन को बीते माह नए सिरे से पैनल तैयार कर राजभवन भेजा था।पहले सर्च कमेटी ने जो पैनल भेजा था, उसे राजभवन ने लौटा दिया था। पैनल में शामिल नामों पर आपत्ति और शिकायत के परीक्षण के बाद राजभवन ने यह कदम उठाया था। राजभवन ने सर्च कमेटी को कुलपति पद के लिए नए आवेदन मांगने के बजाय पहले से प्राप्त तकरीबन 153 आवेदनों में से ही पैनल बनाने के निर्देश दिए थे। इस पैनल पर राज्यपाल ने डा सुरेखा डंगवाल को नई कुलपति नियुक्त की है।
33 वर्षों का अध्यापन कार्य
दून विश्वविद्यालय की नव नियुक्त कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल 33 वर्षों के अध्यापन और शोध अनुभव के साथ ही विभिन्न सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ी हैं। महिला सशक्तीकरण के साथ ही अंग्रेजी और हिंदी भाषा में लेखन में भी उन्हें महारत हासिल है। हिंदुइस्म इन टीएस इलियट्स राइटिंग्स, द आर्ट ऑफ इफेक्टिव कम्युनिकेशन एंड लर्निंग इंग्लिश लेंग्वेज थ्रू लिटरेचर उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल हैं।
55 शोध हो चुके प्रकाशित
वर्तमान में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी, आधुनिक यूरोपीय एवं अन्य विदेशी भाषा विभाग में वह विभागाध्यक्ष हैं। उनके निर्देशन में 13 शोध छात्रों ने अंग्रेजी विषय में पीएचडी और 30 छात्रों ने एमफिल की उपाधि भी प्राप्त की। उनके लिखे 55 से अधिक शोध पत्र विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं। टारलटन स्टेट यूनिवर्सिटी स्टीफनविल अमेरिका में बतौर विजीटिंग फैकल्टी अध्यापन कार्य करने के साथ ही प्रो. सुरेखा डंगवाल हेनोबर विश्वविद्यालय जर्मनी में शोध कार्य करने के साथ ही साउथ एशियन लिटररी एसोसिएशन पिट्सबर्ग अमेरिका की आजीवन सदस्य भी हैं।
हिल्ट्रान की अध्यक्ष भी रहीं सुरेखा
अकादमिक क्षेत्र के साथ ही पूर्व में वह राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रही थीं। अविभाजित उत्तर प्रदेश में वह हिल इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन में अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की वह प्रथम महिला अधिष्ठाता छात्र कल्याण भी रही हैं। नेक संस्था की प्रशिक्षित पैनल सदस्य के साथ ही प्रो. सुरेखा डंगवाल अन्य कई विश्वविद्यालयों की शोध समितियों की सदस्य भी हैं।
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