शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को आयुर्वेद की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने इसकी पहल की है। पहले चरण में आयुर्वेद विवि और दून विवि परिसर में हर्बल गार्डन तैयार किए जाएंगे, जिनके लिए जमीन भी चिह्नित कर ली गई है। इसके अलावा आयुर्वेद विवि के सभी परिसरों और संबद्ध कॉलेजों में भी हर्बल गार्डन लगाए जाएंगे।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने इसके लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर परिसर में जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने बताया कि आयुर्वेद विवि और दून विवि में जमीन चिह्नित कर ली गई है।
प्रत्येक हर्बल गार्डन में कई तरह के मेडिसनल प्लांट लगाए जाएंगे। पौधों के साथ उनके नाम, औषधीय नाम, उपयोग व महत्व की जानकारी डिस्प्ले की जाएगी। इससे शिक्षकों और छात्रों को पौधों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद विवि सभी जगह हर्बल गार्डन लगाने के लिए टेक्निकल सपोर्ट उपलब्ध कराएगा। इससे विवि और कॉलेज परिसरों की खूबसूरती में भी इजाफा होगा।
आयुर्वेद विवि खरीदेगा मेडिसनल प्लांट:
प्रो. सुनील जोशी ने बताया कि विवि और कॉलेज परिसरों में उगने वाले मेडिसनल प्लांट की खरीद आयुर्वेद विवि करेगा। इसका इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद विवि की औषधि निर्माणशाला के लिए बड़े पैमाने पर औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों की जरूरत पड़ती है।
चार सदस्यीय टीम ने किया निरीक्षण:
मंगलवार को आयुर्वेद विवि की चार सदस्यीय टीम ने दून विवि परिसर का निरीक्षण कर जमीन चिह्नित की। कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने भी कुछ दिन पूर्व परिसर में हर्बल गार्डन बनाने के निर्देश दिए थे। दून विवि परिसर में करीब 10 बीघा खाली जमीन चिह्नित की गई है, जिसमें पहले चरण में हर्बल गार्डन बनेगा।
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