- कुम्भ मेले में कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लाने की बाध्यता भी की खत्म
- इससे पूर्व चार साल पूरे होने पर मनाए जाने वाले जश्न को भी किया गया रदद्
देहरादून। तीरथ सिंह रावत सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार के विवादास्पद फैसलों को रद्द करना शुरू कर दिया है। इसमें गैरसैण वॉक और देवस्थानम बोर्ड का मामला भी शामिल है।
देवस्थानम बोर्ड के गठन से बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री सहित 55 मंदिर सरकारी नियंत्रण में आ गए थे। इस फैसले से बीजेपी की खासी किरकिरी भी हुई थी। देवस्थानम बोर्ड ही नहीं गैरसैण मंडल बनाने से भी बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड की जनता ही नहीं, बीजेपी के अंदर भी आक्रोश है।
हरिद्वार में चल रहे कुंभ को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने कड़े फैसले लागू किए थे, जिसमें सभी यात्रियों से कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाने की शर्त लगाई गई। सीएम तीरथ का कहना है कि कोविड नेगटिव रिपोर्ट लाने की क्षमता 1 अप्रैल से नहीं होगी।
इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार का एक और बड़ा विवादास्पद निर्णय हुआ था जो कुमाऊं और गढ़वाल के 2-2 जिलों को मिलाकर गैरसैण कमिश्नरी गठन का था। सीएम का कहना है कि गैरसैंण कमिश्नरी के मुद्दे पर सरकार जनभावना के साथ करेगी। तीरथ सिंह ने कहा कि गैरसैणवलजन और देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार होगा।
शनिवार को एक सवाल के जवाब में सीएम तीरथ सिंह ने कहा कि उनकी सरकार पब्लिक सेंटीमेंट का सम्मान करेगी। मंगलवार को उत्तराखंड के 10 वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद तीरथ ने शुक्रवार को सरकार में 11 मंत्री शामिल किए हैं।
सरकार का फोकस नया काम शुरू करने से पहले उन कामों को ठीक करने का है। जो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लागू किए थे और उनका व्यापक विरोध हो रहा था।