कारगिल विजय दिवस : भारतीय जांबाजों के अदम्य शौर्य की कहानी

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सत्यजीत पंवार, वरिष्ठ पत्रकार

26 जुलाई की तारीख भारतीय वीर जवानों के अदम्य शौर्य के प्रमाण के तौर पर इतिहास की किताब में स्वर्मिण अध्याय के रूप में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज है।

करीब दो महीने तक पाकिस्तान के साथ चली जंग का अंत 21 जुलाई 1999 को भारत की जीत के रूप में हुआ था. दो महीने की इस अवधि में भारतीय जाबांजों ने पाकिस्तान की हर नापाक हरकत का ऐसा मुहंतोड़ जवाब दिया था, जिसे याद कर पाकिस्तान आज भी सिहर उठता है।

भारतीय जांबाजों ने देश की सीमा में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों को वापस खदेड़ दिया था. इस युद्ध में 527 वीर मातृभूमि पर न्यौछावर हो गए थे। पाकिस्तान के ढाई हजार से ज्यादा सैनिकों को भारतीय वीरों ने मार गिराया था।

‘आपरेशन विजय’ के नाम से प्रसिद्ध कारगिल की लड़ाई ने जहां भारत की गौरवशाली सैन्य परंपरा में एक और सफलता का आयाम जोड़ा वहीं पाकिस्तान के लिए यह युद्ध एक और शर्मनाक हार का सबब बना।

इस युद्ध ने पाकिस्तान को यह सीख भी दी कि, भारत की तरफ आंख उठाने के उसके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं हो सकते।

ऑपरेशन विजय भारतीय जाबांजों के अदम्य शौर्य की गाथाओं से भरा है। भारतीय वीरों की शहादत की गाथा सुन कर आज हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. हर भारतीय का सिर इन वीरों के सम्मान में झुक जाता है।

इस युद्ध में शहीद हुए हर भारतीय वीर की कहानी हम भारतीयों को मातृभूमि की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहने की प्रेरणा देती है।

आजादी के बाद अलग देश के रूप में अस्तित्व में आए पाकिस्तान की भारत के प्रति दुर्भावना जग जाहिर है। आजादी के एक वर्ष बाद ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के जरिए अपने नापाक इरादे जाहिर कर दिए थे।

तब भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के इरादे नेस्तनाबूद कर दिए थे। मगर इसके बाद भी पाकिस्तान गाहे बगाहे अपनी बुरी नजर भारत पर डालता रहता था।

सन 1971 में पाकिस्तान को इसकी इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी कि भारत ने उसके दो टुकड़े कर दिए थे। दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश के रूप ने एक नए देश का उदय भारत की वीरता का जीता जागता प्रमाण है।

मगर इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और लगातार भारत के खिलाफ षड़यंत्र रचता रहा। पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी में आतंकियों की लगातार घुसपैठ जारी रखी।

भारतीय वीर पाकिस्तान की इन हरकतों का हर बार मुहंतोड़ जवाब देते रहे. इस सबके होते सन 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया।

भारत के परमाणु संपन्न होने की बात सामने आते ही पाकिस्तान की बौखलाहट फिर से सामने आ गई और उसने भारत के खिलाफ एक बड़े षड़यंत्र की शुरूआत कर दी।

वर्ष 1999 के मई महीने की शुरुआत में भारतीय सेना को पाकिस्तानी सैनिकों के भारतीय चोटियों पर कब्जा करने की सूचना मिली. पाकिस्तानी सैनिक भारत की द्रास, तोलोलिंग, टाइगर हिल और कारगिल की पहाड़ियों पर बंकर बना कर छुपे बैठे थे।

उस समय भारतीय थल सेना  प्रमुख जनरल वेदप्रकाश मलिक पोलैंड और चेक गणराज्य की यात्रा पर थे। उन्हें भारतीय राजदूत ने पहली बार पाकिस्तान की इस हरकत की खबर दी।

मई की शुरुआत में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर गोलाबारी शुरू कर दी। पाकिस्तान की इस हरकत के बाद भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला और ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू कर दिया।

भारत ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत करते हुए सबसे पहले बटालिक क्षेत्र की दो चौकियों से पाकिस्तान को खेदड़ कर वहां फिर से तिरंगा लहराया. उसके बाद द्रास और तोलोलोंग सेक्टर को फिर से हासिल किया।

इस दौरान भारतीय सेना के जिस अदम्य साहस का परिचय दिया वह सैन्य इतिहास में अद्वितीय है. पाकिस्तानी सैनिक चोटी के ऊपर से भारतीयों पर गोला बारी और बम बरसा रहे थे, जिसके जवाब में भारतीय सैनिक बेहद विकट परिस्थितियों में आगे बढ़ते हुए कार्रवाई कर रहे थे।

ऊंचाई पर होने के चलते पाक सैनिकों को भारतीय वीरों के एक-एक कदम की जानकारी मिल रही थी, ऐसे में भारतीयों रणबाकुरों के लिए दुश्मन तक पहुंचना बेहद कठिन था।

मगर जब मातृभूमि के प्रति अपनी जान से भी ज्यादा प्रेम हो तो फिर दुनिया की सबसे बड़ी मुश्किल भी आपके इरादों को नहीं डिगा सकती।  बेहद कठिन हालातों में भारतीय सैनिकों ने ऊंचाई पर बैठे दुश्मन को नेस्तनाबूद कर तिरंगा फहराया जिसे पूरी दुनिया ने देखा।

पाकिस्तान के कब्जे से टाइगर हिल को मुक्त करने में भारतीय सैनिकों ने 11 घंटे की लड़ाई लड़ी. इसी तरह अन्य चोटियों पर भी तिरंगा लहराने लगा।

आखखिरकार 21 जुलाई का वो दिन आया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय के सफल होने की जानकारी देकर भारत की जीत का ऐलान किया।

कारगिल युद्ध में परिस्थितियां हर तरफ से भारत के प्रतिकूल थीं. ऊंची पहाडियों पर दुश्मन पहले ही बंकर बना चुका था. भारी मात्रा में गोला बारूद जमा कर चुका था। पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय जवानों के एक-एक मूवमेंट की पल-पल की अपडेट मिल रही थी।

कारगिल की चोटियों की ऊंचाई समुद्र तल से 16000 से 18000 फीट तक है. इतनी ऊंचाई पर हवा का घनत्व बेहद कम होता है और चढ़ाई चढ़ते हुए सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है।

ऐसी विकट परिस्थितियों में कोई भी देश युद्ध लड़ने के पहले कई बार सोचेगा. मगर भारतीय सेना के पराक्रमी योद्धाओं ने इन विकट हालातों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया पूरे साहस के साथ पाकिस्तान की नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया।

भारतीय सैनिकों को साबित कर दिया कि क्यों उन्हें सर्वश्रेठ माना जाता है. कारगिल विजय दिवस की 21 वीं वर्षगांठ पर एक बार फिर भारतीय जांबाजों के शौर्य को सलाम।

5 thoughts on “कारगिल विजय दिवस : भारतीय जांबाजों के अदम्य शौर्य की कहानी

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